Tuesday, April 24, 2012

ऐ सनम, तुझको मेरी याद तो आती होगी..



कभी तन्हाई में चुपके से रुलाती होगी,
कभी थोड़ा, कभी ज़ोरों से सताती होगी,
ये माना, मैं नहीं आता हूं अब ख़यालों में,
ऐ सनम, तुझको मेरी याद तो आती होगी..

बिन मौसम के बरसती हुई बरसातों में,
या सर्द दिल के सर्द हो चुके जज़्बातों में,
या जनवरी की ठिठरती हुई सी रातों में,
मेरे यादों की ही गर्मीं तो सुलाती होगी..
ऐ सनम,...

जो आग दिल से निकलने को फड़कती होगी,
जो आग दिल में चाँदनी से भड़कती होगी,
जो आग दिल की धड़कनों मे धड़कती होगी,
मेरी यादों की ही ठंडक तो बुझाती होगी,
ऐ सनम,...

मुझे इल्ज़ाम दिया तूने बेवफ़ाई का,
मेरी मजबूरियों को नाम इक सफ़ाई का,
मेरा मक़सद ही मोहब्बत में था जुदाई का,
मेरी हर याद रोज़ सच तो दिखाती होगी,
ऐ सनम, तुझको मेरी याद तो आती होगी..
ऐ सनम, तुझको मेरी याद तो आती होगी..!!

10 comments:

  1. मोहब्ब्त सच्ची होगी तो याद क्यूँ ना आएगी.........

    सुंदर भाव....

    अनु

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  2. याद हो आती होगी, यकीनन !

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  3. sach mein pyar kiya hai to yaad aati hogi

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  4. यादों को ठहरना ही तो नहीं आता ...

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  5. Behtareen Rachna!!!

    http://antarmannn.blogspot.com

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  6. Again an awesome composition...loved it...:)

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  7. Sabhi ka bahut bahut shukriya..
    Maafi chaahta hun Samay ki kami ki wajah se aapki posts padh nahi paa raha hun.. :(

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