Wednesday, March 7, 2012

समझ बैठे..


हमेशा कम उसे पाया, जिसे ज़्यादा समझ बैठे,
मुकम्मल वो मिला है बस, जिसे आधा समझ बैठे..

चमकती चीज़ जो देखी, समझ बैठे उसे सोना,
चमक उसमें मिली असली, जिसे सादा समझ बैठे..

जिसे सूरप-नखा समझे थे हम, निकली वही सीता,
वही इक पूतना थी, हम जिसे राधा समझ बैठे..

हो फ़ितरत या-वो नीयत हो, उमर भर एक रहती है,
हमारा बचपना ही था, उसे दादा समझ बैठे..

वही निकला वज़ीर-ए-आज़म-ए-तक़दीर, इक मोहरा,
जिसे 'घायल', बिसात-ए-ज़िंद का प्यादा समझ बैठे..

28 comments:

  1. तजुर्बा ऐसी नासमझियों से ही आता है.....
    दुनिया से आदमी सीख कर ही जाता है....

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  2. होली के पावन पर्व की आपको हार्दिक शुभकामनाये !

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  3. HO FITRAT YA WOH NIYAT HO UMRA BHAR EK REHTI HAE......

    KOE KAISE SAMAGH BAITHE YE USKI FITRAT HAE

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  4. वाह!!!बहुत बेहतरीन प्रस्तुति,सुंदर भाव अभिव्यक्ति....
    होली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...
    पोस्ट आइये स्वागत है....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...रंग रंगीली होली आई,

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  5. होता है ऐसा धोखा जीवन में
    जिस सच्चा समझो वही गलत
    हो जाता है, इससे सिख मिलती है
    आनेवाले कटीन समय के लिये
    बेहतरीन रचना...
    होली पर्व कि शुभ कामनाये

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  6. बहुत सुन्दर ग़ज़ल....बहुत बहुत बधाई...होली की शुभकामनाएं....

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  7. वाह! बहुत बधाई। होली की शुभकामनायें।

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  8. बहुत बढ़िया ...होता है ऐसा ! होली की शुभकामनाएँ ...

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  9. धीरे धीरे सीख जायेंगे.....ज़रा बाल तो पकने दें..

    होली मुबारक हो...

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    1. haha.. baal to dhoop ne aur pradooshan ne hi paka diye :)

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  10. पहले जैसी ही बहुत खूबसूरत गज़ल । होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  11. वाह! बहुत सुन्दर लिखा है आपने!
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  12. आदित्य जी आपकी कविताओ का तो इंतज़ार रहता है हमे !
    बहुत अच्छी रचना !

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  13. बहुत ही बढ़िया

    आपको महिला दिवस और होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ----------------------------
    कल 09/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    1. bahut bahut shukriya sir shaamil karne k liye :)

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  14. सुंदर एवं सार्थक अभीव्यक्ति क्यूंकि हर पीली चमकती हुई चीज़ सोना नहीं होती। होली मुबारक हो....

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  15. App sabhi ka bahut bahut shukriya pasand karne k liye..
    aur sabhi ko shubkaamnaayein holi ki :)

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  16. बड़ी अच्छी गज़ल...
    होली की शुभकामनाएं...

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  17. पहल बार आना हुआ आपकी पोस्ट पर ....अनुभव ही हमें परिपक्व बनाते हैं ....समझदार बनाते हैं .....सुन्दर प्रस्तुति

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  18. बहुत खूबसूरत नज़्म.....

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  19. wah bhai kya khoob likha hai apne ......seeta to aaj ke yug kalpana bhr hai bs pootana hi milati hain ...shandar rachana ke liye badhai .

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  20. समझ का फेर न समझे, समझदारी यही तो है
    उसी ने कामयाबी दी , जिसे बाधा समझ बैठे.

    बहुत, बहुत और बहुत ही शानदार रचना.................

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  21. वह क्या बात है ...!!

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  22. पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

    इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद कबूल करें..

    नीरज

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  23. सभी शेर बहुत बढ़िया, दाद स्वीकारें.

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