Saturday, November 19, 2011

फिर से जाम मैं उठाऊंगा...


फिर से जाम मैं उठाऊंगा,
फिर सिगरेट ज़रा जलाऊंगा,
तमाशा फिर बनेगा दुनिया में,
आग से आग मैं बुझाऊंगा..
फिर से जाम मैं...

फिर तेरी याद चली आएगी,
मेरी झूठी हंसी भी जाएगी,
तमाशा फिर बनेगा दुनिया में,
ख़ून आँखों से मैं बहाऊंगा..
फिर से जाम मैं...

फिर ख़ुद से करूंगा वादे मैं,
तुझे भुलाने के इरादे मैं,
तमाशा फिर बनेगा दुनिया में,
सुबह को सब मैं भूल जाऊंगा..
फिर से जाम मैं..

दर्द फिर हद से गुज़र जाएगा,
हाल-ए-दिल, दिल में ना रह पाएगा,
तमाशा फिर बनेगा दुनिया में,
ख़त लिख-लिख के मैं मिटाऊंगा..

फिर से जाम मैं उठाऊंगा..
फिर से जाम मैं उठाऊंगा..

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