Friday, May 20, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#11


कब तक झूठी दुनिया की बातों में, यूं ही आओगे,
कब तक सच्चाई से आँखें, यूं हर बार चुराओगे..

जब तक हाल तुम्हारे अच्छे, तब तक है सब ठीक सही,
कब तक किस्मत साथ चलेगी, कब तक चोट न खाओगे..

मेरे हाथ में देख शराब की बोतल, यूं मुँह ना फेरो,
कब तक अमृत के प्याले को, बोलो ज़हर बताओगे..

जितनी देर करोगे, ग़म उतना ही बढ़ता जाएगा,
कब तक 'मय' को ना करके, यूं अपने पाप बढ़ाओगे..

जो इसकी दिल खोल बुराई करते थे, सब पीते हैं,
कब तक इस मानव जीवन को, यूँ बेकार गंवाओगे..

1 comment:

  1. जब तक हाल तुम्हारे अच्छे, तब तक है सब ठीक सही,
    कब तक किस्मत साथ चलेगी, कब तक चोट न खाओगे..

    बहुत सुंदर...जीवन में उतर चढ़ाव तो आते ही हैं...

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